tag:blogger.com,1999:blog-5595023842396230468.post7017303571366545535..comments2023-09-04T20:44:01.806+05:30Comments on हँसता गाता बचपन: “हँसता गाता बचपन की भूमिका और शीर्षक गीत” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')प्रांजल-प्राचीhttp://www.blogger.com/profile/09742305225899096765noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5595023842396230468.post-85868448598498025482022-12-27T07:45:50.962+05:302022-12-27T07:45:50.962+05:30Sundar.Sundar.Ajayhttp://906090.4-germany.de/tools/klick.php?curl=https://www.zakirali.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5595023842396230468.post-83953236358370390582013-07-19T13:30:39.393+05:302013-07-19T13:30:39.393+05:30बहुत सुन्दर सार्थक बाल साहित्य समीक्षा प्रस्तुति ....बहुत सुन्दर सार्थक बाल साहित्य समीक्षा प्रस्तुति ... कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5595023842396230468.post-67770152215243832802013-07-19T09:12:58.776+05:302013-07-19T09:12:58.776+05:30सुन्दर प्रस्तुति-
आभार गुरु जी सुन्दर प्रस्तुति-<br />आभार गुरु जी रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5595023842396230468.post-79352386636591666092013-07-19T08:42:06.945+05:302013-07-19T08:42:06.945+05:30
ये स्साला स्पेम भी कांग्रेसी हो गया है सब कुछ हज...<br /><br />ये स्साला स्पेम भी कांग्रेसी हो गया है सब कुछ हजम कर रहा है सब्सिडी की तरह कितनी टिपण्णी गटक गया मालूम है ?virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5595023842396230468.post-75672801085756322122013-07-19T08:39:36.225+05:302013-07-19T08:39:36.225+05:30
बेहतरीन समीक्षा की है शाष्त्री जी के साहित्यिक कद...<br />बेहतरीन समीक्षा की है शाष्त्री जी के साहित्यिक कद के अनुरूप <br />रचनाएं भी सभी सौदेश्य कालजई रचनाएं हैं virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5595023842396230468.post-811140608829490662013-07-19T08:38:33.520+05:302013-07-19T08:38:33.520+05:30काजल जी कुमार यही है चित्र व्यंग्य की आग व्यंग्य क...काजल जी कुमार यही है चित्र व्यंग्य की आग व्यंग्य क्या अग्नि बाण हैं ये व्यंग्य चित्र आपके .बेशक नेता फिर भी बच जाते हैं अग्नि इन्हें जला नहीं सकती बे -इज्ज़ती इन्हें डुबो नहीं न सकती <br /><br />भैया फोतुवा तो तब होवे तुम्हारा जब कैमरा ले जाने देवें . प्रणाम जाट देवता ,जाट सो देवता ,देवता सो फिर जाट<br /><br /><br /><br />मोदी ने जब तानकर, छोड़ दिए कुछ तीर | <br />भन्नाए से घूमते, सुन कर कई वजीर |<br />सुन कर कई वजीर, फाड़ते रोकर छाती,<br />बुरका, पप्पी बाँध गले से, चपर-कनाती |<br />कहे 'राज' कवि-मित्र, लिए पप्पी को गोदी,<br />चक्कर में सरकार, मस्त- मुस्काता मोदी |<br /><br /><br /><br />क्या बात है दोस्त पूडल सोनियावी का नूडल ही बना दिया । <br />बेहतरीन सेतु सजाये हैं चर्चा मंच पे रविकर छाये हैं ।काज्ल भी कितने बे -जोड़ चित्र व्यंग्य लिए रहते हैं ,मोदी के सब तीर लिए रहते हैं .ओम शान्ति <br /><br />बेहतरीन समीक्षा की है शाष्त्री जी के साहित्यिक कद के अनुरूप <br /><br />(डॉ. राष्ट्रबन्धु)<br />सम्पादक-बाल साहित्य समीक्षा<br />109 / 309, राम कृष्ण नगर,<br />कानपुर (उत्तर प्रदेश) 208 012<br />virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.com