अब हरियाली तीज आ रही,
मम्मी मैं झूलूँगी झूला।
देख फुहारों को बारिश की,
मेरा मन खुशियों से फूला।।
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कई पुरानी भद्दी साड़ी,
बहुत आपके पास पड़ी हैं।
इतने दिन से इन पर ही तो,
मम्मी मेरी नजर गड़ी हैं।।
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इन्हें ऐंठकर रस्सी बुन दो,
मेरा झूला बन जाएगा।
मैं बैठूँगी बहुत शान से,
भइया मुझे झुलायेगा।।
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Friday, July 24, 2020
बालकविता "हरियाली तीज" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हरियाली तीज
Saturday, May 9, 2020
बालगीत "गुलमोहर पर छाई लाली" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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लाल रंग के सुमन
सुहाते।
लोगों को हैं खूब लुभाते।।
रूप अनोखा, गन्ध नहीं
है,
कागज-कलम निबन्ध नहीं
है,
उपवन से सम्बन्ध नहीं
है,
गरमी में हैं खिलते
जाते।
लोगों को हैं खूब लुभाते।।
भँवरों की गुंजार नहीं
है,
शीतल-सुखद बयार नहीं
है,
खिलने का आधार नहीं
है,
केवल लोकाचार निभाते।
लोगों को हैं खूब लुभाते।।
कुदरत की है शान
निराली,
गुलमोहर पर छाई लाली,
वनमाली करता रखवाली,
पथिक तुम्हारी छाया
पाते।
लोगों को हैं खूब लुभाते।।
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बालगीत
Tuesday, October 30, 2018
बालकविता "मुर्गा हूँ मैं सिर्फ नाम का" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बाल कविता,
मुर्गा हूँ मैं सिर्फ नाम का
Monday, September 1, 2014
""पारसमणि" में मेरी बालकविता "पाठशाला" का राजस्थानी में अनुवाद"
हनुमानगढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित पत्रिका
"पारसमणि" में मेरी बालकविता
"पाठशाला"
का राजस्थानी में अनुवाद प्रकाशित हुआ है।
अनुवादक है पं. दीनदयाल शर्मा।
Saturday, July 5, 2014
"मैं भी जागा, तुम भी जागो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
बालकविता
"मैं भी जागा, तुम भी जागो"
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मैं भी जागा
Tuesday, June 24, 2014
"आज से ब्लॉगिंग बन्द" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक')
मित्रों।
फेस बुक पर मेरे मित्रों में एक श्री केवलराम भी हैं।
उन्होंने मुझे चैटिंग में आग्रह किया कि उन्होंने एक ब्लॉगसेतु के नाम से एग्रीगेटर बनाया है। अतः आप उसमें अपने ब्लॉग जोड़ दीजिए।
मैेने ब्लॉगसेतु का स्वागत किया और ब्लॉगसेतु में अपने ब्लॉग जोड़ने का प्रयास भी किया। मगर सफल नहीं हो पाया। शायद कुछ तकनीकी खामी थी।
श्री केवलराम जी ने फिर मुझे याद दिलाया तो मैंने अपनी दिक्कत बता दी।
इन्होंने मुझसे मेरा ईमल और उसका पासवर्ड माँगा तो मैंने वो भी दे दिया।
इन्होंने प्रयास करके उस तकनीकी खामी को ठीक किया और मुझे बता दिया कि ब्लॉगसेतु के आपके खाते का पासवर्ड......है।
मैंने चर्चा मंच सहित अपने 5 ब्लॉगों को ब्लॉग सेतु से जोड़ दिया।
ब्लॉगसेतु से अपने 5 ब्लॉग जोड़े हुए मुझे 5 मिनट भी नहीं बीते थे कि इन महोदय ने कहा कि आप ब्लॉग मंच को ब्लॉग सेतु से हटा लीजिए।
मैंने तत्काल अपने पाँचों ब्लॉग ब्लॉगसेतु से हटा लिए।
अतः बात खत्म हो जानी चाहिए थी।
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कुछ दिनों बाद मुझे मेल आयी कि ब्लॉग सेतु में ब्लॉग जोड़िए।
मैंने मेल का उत्तर दिया कि इसके संचालक भेद-भाव रखते हैं इसलिए मैं अपने ब्लॉग ब्लॉग सेतु में जोड़ना नहीं चाहता हूँ।
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बस फिर क्या था श्री केवलराम जी फेसबुक की चैटिंग में शुरू हो गये।
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यदि मुझसे कोई शिकायत थी तो मुझे बाकायदा मेल से सूचना दी जानी चाहिए थी । लेकिन ऐसा न करके इन्होंने फेसबुक चैटिंग में मुझे अप्रत्यक्षरूप से धमकी भी दी।
एक बानगी देखिए इनकी चैटिंग की....
"Kewal Ram
आदरणीय शास्त्री जी
जैसे कि आपसे संवाद हुआ था और आपने यह कहा था कि आप मेल के माध्यम से उत्तर दे देंगे लेकिन आपने अभी तक कोई मेल नहीं किया
जिस तरह से बिना बजह आपने बात को सार्जनिक करने का प्रयास किया है उसका मुझे बहुत खेद है
ब्लॉग सेतु टीम की तरफ से फिर आपको एक बार याद दिला रहा हूँ
कि आप अपनी बात का स्पष्टीकरण साफ़ शब्दों में देने की कृपा करें
कोई गलत फहमी या कोई नाम नहीं दिया जाना चाहिए
क्योँकि गलत फहमी का कोई सवाल नहीं है
सब कुछ on record है
इसलिए आपसे आग्रह है कि आप अपन द्वारा की गयी टिप्पणी के विषय में कल तक स्पष्टीकरण देने की कृपा करें 24/06/2014
7 : 00 AM तक
अन्यथा हमें किसी और विकल्प के लिए बाध्य होना पडेगा
जिसका मुझे भी खेद रहेगा
अपने **"
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ब्लॉग सेतु के संचालकों में से एक श्री केवलराम जी ने मुझे कानूनी कार्यवाही करने की धमकी देकर इतना बाध्य कर दिया कि मैं ब्लॉगसेतु के संचालकों से माफी माँगूँ।
जिससे मुझे गहरा मानसिक आघात पहुँचा है।
इसलिए मैं ब्लॉगसेतु से क्षमा माँगता हूँ।
साथ ही ब्लॉगिंग भी छोड़ रहा हूँ। क्योंकि ब्लॉग सेतु की यही इच्छा है कि जो ब्लॉगर प्रतिदिन अपना कीमती समय लगाकर हिन्दी ब्लॉगिंग को समृद्ध कर रहा है वो आगे कभी ब्लॉगिंग न करे।
मैंने जीवन में पहला एग्रीगेटर देखा जिसका एक संचालक बचकानी हरकत करता है और फेसबुक पर पहल करके चैटिंग में मुझे हमेशा परेशान करता है।
उसका नाम है श्री केवलराम, हिन्दी ब्लॉगिंग में पी.एचडी.।
इस मानसिक आघात से यदि मुझे कुछ हो जाता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी ब्लॉगसेतु और इससे जुड़े श्री केवलराम की होगी।
आज से ब्लॉगिंग बन्द।
और इसका श्रेय ब्लॉगसेतु को।
जिसने मुझे अपना कीमती समय और इंटरनेट पर होने वाले भारी भरकम बिल से मुक्ति दिलाने में मेरी मदद की।
धन्यवाद।
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
Wednesday, June 11, 2014
"कच्चे घर अच्छे रहते हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
बालकविता
"
"
कच्चे घर अच्छे रहते हैं
सुन्दर-सुन्दर सबसे न्यारा।
प्राची का घर सबसे प्यारा।।
खुला-खुला सा नील गगन है।
हरा-भरा फैला आँगन है।।
पेड़ों की छाया सुखदायी।
सूरज ने किरणें चमकाई।।
कल-कल का है नाद सुनाती।
निर्मल नदिया बहती जाती।।
तन-मन खुशियों से भर जाता।
यहाँ प्रदूषण नहीं सताता।।
लोग पुराने यह कहते हैं।
कच्चे घर अच्छे रहते हैं।।
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हँसता गाता बचपन
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