अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से

बालकविता
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कच्चे घर अच्छे रहते हैं
सुन्दर-सुन्दर सबसे न्यारा।
प्राची का घर सबसे प्यारा।।
खुला-खुला सा नील गगन है।
हरा-भरा फैला आँगन है।।
पेड़ों की छाया सुखदायी।
सूरज ने किरणें चमकाई।।
कल-कल का है नाद सुनाती।
निर्मल नदिया बहती जाती।।
तन-मन खुशियों से भर जाता।
यहाँ प्रदूषण नहीं सताता।।
लोग पुराने यह कहते हैं।
कच्चे घर अच्छे रहते हैं।।
वाह !
ReplyDeleteकल 12/जून/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
उम्दा।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteशानदार रचना
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