मन को बहुत लुभाने वाली, तितली रानी कितनी सुन्दर। भरा हुआ इसके पंखों में, रंगों का है एक समन्दर।। उपवन में मंडराती रहती, फूलों का रस पी जाती है। अपना मोहक रूप दिखाने, यह मेरे घर भी आती है।। भोली-भाली और सलोनी, यह जब लगती है सुस्ताने। इसे देख कर एक छिपकली, आ जाती है इसको खाने।। आहट पाते ही यह उड़ कर, बैठ गयी चौखट के ऊपर। मेरा मन भी ललचाया है, मैं भी देखूँ इसको छूकर।। इसके रंग-बिरंगे कपड़े, होली की हैं याद दिलाते। सजी धजी दुल्हन को पाकर, |
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Monday, January 9, 2012
"तितली रानी कितनी सुन्दर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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वाह ……बहुत सुन्दर बाल कविता…………बाल कविताओ मे तो आप सिद्धहस्त हैं।
ReplyDeleteइसके रंग-बिरंगे कपड़े,
ReplyDeleteहोली की हैं याद दिलाते।bahut badhiyaa.
लुभावनी बाल कविता
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
सुंदर कविता
ReplyDeleteकविताओँ को पसंद करने वालोँ के लिए तो बहुत श्रेष्ठ ब्लॉग.....
बहुत प्यारी बाल कविता
ReplyDeleteBAL MAN KI ACHHI PARKH .....BAHUT HI SUNDAR RACHANA ABHAR MAYANK JI ,
ReplyDeleteबहुत प्यारी कविता
ReplyDeletebahut pyari si baal kavita hai ,bdhai...
ReplyDeleteBahut sundar. Jai ho.
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