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Sunday, January 22, 2012

"विद्यालय में मुझको भी जाना है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")


भैया! मुझको भी,
लिखना-पढ़ना, सिखला दो।
क.ख.ग.घ, ए.बी.सी.डी,
गिनती भी बतला दो।।

पढ़ लिख कर मैं,
मम्मी-पापा जैसे काम करूँगी।
दुनिया भर में,
बापू जैसा अपना नाम करूँगी।।

रोज-सवेरे, साथ-तुम्हारे,
मैं भी उठा करूँगी।
पुस्तक लेकर पढ़ने में,
मैं संग में जुटा करूँगी।।

बस्ता लेकर विद्यालय में,
मुझको भी जाना है।
इण्टरवल में टिफन खोल कर,
खाना भी खाना है।।

छुट्टी में गुड़िया को,
ए.बी.सी.डी, सिखलाऊँगी।
उसके लिए पेंसिल और,
इक कापी भी लाऊँगी।।

9 comments:

  1. प्यारी और खूबसूरत रचना ...

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  2. bachchon ki tarah masoom komal si kavita.

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  3. छुट्टी में गुड़िया को,
    ए.बी.सी.डी, सिखलाऊँगी।
    उसके लिए पेंसिल और,
    इक कापी भी लाऊँगी।।

    bal mn ki tashvir bhala blogar ki duniyan me ap se achhi kaun rekhankit kr sakata hai? bahut hi achhi post aj charchamanch pr mili badhai Maynk ji.

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  4. सुन्दर बाल कविता !

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  5. साक्षरता पर प्रभावी बाल कविता के लिए आपको हार्दिक बधाई
    जय जय सुभाष !

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  6. छुट्टी में गुड़िया को,
    ए.बी.सी.डी, सिखलाऊँगी।बहुत अच्छी बालकविता।

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  7. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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