मन्दिर, मस्जिद और गुरूद्वारे। भक्तों को लगते हैं प्यारे।। हिन्दू मन्दिर में हैं जाते। देवताओं को शीश नवाते।। ईसाई गिरजाघर जाते। दीन-दलित को गले लगाते।। जहाँ इमाम नमाज पढ़ाता। मस्जिद उसे पुकारा जाता।। सिक्खों को प्यारे गुरूद्वारे। मत्था वहाँ टिकाते सारे।। राहें सबकी अलग-अलग हैं। पर सबके अरमान नेक है। नाम अलग हैं, पन्थ भिन्न हैं। पर जग में भगवान एक है।। |
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Saturday, February 11, 2012
"भगवान एक है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बाल कविता,
भगवान एक है
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bachchon ke liye ek shikshaprad kavita.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 13-02-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
बहुत सुन्दर...
ReplyDeletebadi achchi shikcha hui bachchon ki.....
ReplyDeleteAti sundar.
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