अपनी बाल कृति "हँसता गाता बचपन" से
एक बालगीत
"सबके मन को बहलाते हैं"
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Thursday, December 5, 2013
"सबके मन को बहलाते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बालगीत,
सबके मन को बहलाते हैं,
हँसता गाता बचपन
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बहुत सुंदर...चित्र व गीत भी..
ReplyDeletesundar chitra geet ...
ReplyDeleteअभिनव प्रतीक नीम्बू से जीवन रस से बाल गीत।
ReplyDeleteनीम्बू की कण्टक शाखा पर,
सुरभित होकर बलखाते हैं।
सबके मन को बहलाते हैं।।
काँटों में भी मुस्काते हैं।
सबके मन को बहलाते हैं।।
MNMOHAK CHITRA BHI KAVITA BHI ....
ReplyDeleteवाह क्या बात! बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteइसी मोड़ से गुज़रा है फिर कोई नौजवाँ और कुछ नहीं
Bahut khoob.
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