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Sunday, December 1, 2013

"मेरी डॉल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

 अपनी बालकृति 
"हँसता गाता बचपन" से
 
बालकविता
"मेरी डॉल"
मम्मी देखो मेरी डॉल।
खेल रही है यह तो बॉल।।

पढ़ना-लिखना इसे न आता।
खेल-खेलना बहुत सुहाता।।

कॉपी-पुस्तक इसे दिलाना।
विद्यालय में नाम लिखाना।।

रोज सवेरे मैं गुड़िया को,
ए.बी.सी.डी. सिखलाऊँगी।
अपने साथ इसे भी मैं तो,
विद्यालय में ले जाऊँगी।।

यह भी तो मेरे जैसी ही,
भोली-भाली सच्ची सी है।
मेरी गुड़िया सबसे न्यारी,
ये छोटी सी बच्ची सी है।।

3 comments:

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