नेता जैसा कद्दू प्यारा।
काशी फल है सबसे न्यारा।।
देवालय में त्यौहारों में।
कथा-कीर्तन भण्डारों में।।
इसका साग बनाया जाता।
पूड़ी के संग खाया जाता।।
जब बेलों पर पक जाता है।
इसका रंग बदल जाता है।।
कद्दू होता गोल-गोल है।
नेता के जैसा सुडौल है।।
बहुत बोलता थोथा-थोथा।
झूठ भरा नस-नस में होता।।
शानदार कविता . जय हो.
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