नभ में उड़ती इठलाती है।
मुझको पतंग बहुत भाती है।।
रंग-बिरंगी चिड़िया जैसी,
लहर-लहर लहराती है।।
कलाबाजियाँ करती है जब,
मुझको बहुत लुभाती है।।
इसे देखकर मुन्नी-माला,
फूली नहीं समाती है।।
पाकर कोई सहेली अपनी,
दाँव-पेंच दिखलाती है।।
बहुत कष्ट होता तब मुझको।
जब पतंग कट जाती है।।
सुंदर रचना !
ReplyDeleteबहुत प्यारा बाल गीत..
ReplyDeleteआपका जवाब नहीं. बधाई.
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