अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
"बिजली कड़की पानी आया"
उमड़-घुमड़ कर बादल आये।
घटाटोप अँधियारा लाये।।
काँव-काँव कौआ चिल्लाया।
लू-गरमी का हुआ सफाया।।
मोटी जल की बूँदें आईं।
आँधी-ओले संग में लाईं।।
धरती का सन्ताप मिटाया।
बिजली कड़की पानी आया।।
लगता है हमको अब ऐसा।
ग्रीष्म बना चौमासा जैसा।।
पेड़ों पर लीची हैं झूली।
बगिया में अमिया भी फूली।।
आम और लीची घर लाओ।
जमकर खाओ, मौज मनाओ।।
सुंदर रचना !
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत..और तस्वीरे भी
ReplyDeleteसुन्दर रचना शास्त्रीजी
ReplyDeleteLajwaab. Hardik badhai.
ReplyDelete