अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
एक बालकविता
मेरे पापा गये हुए थे,
परसों नैनीताल।
मेरे लिए वहाँ से लाए,
वो यह मीठा माल।।
खोए से यह बनी हुई है, जो टॉफी का स्वाद जगाती। मीठी-मीठी बॉल लगी हैं,
मुझको बहुत पसंद है आती।।
कभी पहाड़ों पर जाओ तो, इसको भी ले आना भाई। भूल न जाना खास चीज है, अल्मौड़ा की बॉलमिठाई।।
रक्षाबन्धन के अवसर पर,
यह मेरे भइया ने खाई।
उसके बाद बहुत खुश होकर,
मुझसे राखी भी बंधवाई।।
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Saturday, August 24, 2013
"अल्मोड़ा की बाल मिठाई" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर कल पहली चर्चा में आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar
ReplyDeleteबढ़िया बाल कविता-
ReplyDeleteआभार गुरुदेव-
Sundar geet
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