अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
बालकविता
"वेबकैम पर हिन्दी में प्रकाशित
पहली बाल रचना"
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वेबकैम की शान निराली।
करता घर भर की रखवाली।।
दूर देश में छवि पहुँचाता।
यह जीवन्त बात करवाता।।
आँखें खोलो या फिर मींचो।
तरह-तरह की फोटो खींचो।
कम्प्यूटर में इसे लगाओ।
घर भर की वीडियो बनाओ।।
चित्रों से मन को बहलाओ।
खुद देखो सबको दिखलाओ।।
छोटा सा है प्यारा सा है।
बिल्कुल राजदुलारा सा है।।
मँहगा नहीं बहुत सस्ता है।
तस्वीरों का यह बस्ता है।।
नवयुग की यह है पहचान।
वेबकैम है बहुत महान।।
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Friday, February 7, 2014
"वेबकैम पर जालजगत में प्रकाशित पहली बाल रचना" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Labels:
बालकविता,
वेबकैम की शान निराली,
हँसता गाता बचपन
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बहुत सुन्दर बाल गीत...
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