"हँसता गाता बचपन" से
बालकविता
♥ होली का मौसम ♥
रंग-गुलाल साथ में लाया।
होली का मौसम अब आया।
पिचकारी फिर से आई हैं,
बच्चों के मन को भाई हैं,
तन-मन में आनन्द समाया।
होली का मौसम अब आया।।
गुझिया थाली में पसरी हैं,
पकवानों की महक भरी हैं,
मठरी ने मन को ललचाया।
होली का मौसम अब आया।।
बरफी की है शान निराली,
भरी हुई है पूरी थाली,
अम्मा जी ने इसे बनाया।
होली का मौसम अब आया।।
मम्मी बोली पहले खाओ,
उसके बाद खेलने जाओ,
सूरज ने मुखड़ा चमकाया।
होली का मौसम अब आया।
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Tuesday, October 15, 2013
"होली का मौसम" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Labels:
बालगीत,
हँसता गाता बचपन,
होली का मौसम
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बढ़िया बाल गीत होली का मौसम अब आया ,गुंझिया बर्फी लेकर आया।
ReplyDeleteSundar kavita.
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