"हँसता गाता बचपन" से
बालकविता
"खेतों में शहतूत लगाओ"
कितना सुन्दर और सजीला।
खट्टा-मीठा और रसीला।। शीतलता को देने वाले।
पारा जब दिन का बढ़ जाता।
तब शहतूत बहुत मन भाता।
इसका वृक्ष बहुत उपयोगी।
ठण्डी छाया बहुत निरोगी।।
आँगन-बगिया में उपजाओ।
खेतों में शहतूत लगाओ।। |
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Wednesday, October 2, 2013
"खेतों में शहतूत लगाओ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शीतलता को देने वाले।
ReplyDeleteहैं शहतूत बहुत गुण वाले।।
दर्द गले का हर लेता -
इसका "शरबत शहतूत"
बढ़िया रचना-
ReplyDeleteआभार गुरुवर-
Sunder Baal Rachna
ReplyDeleteSundar.
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