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Monday, October 28, 2013

"हाथी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

 अपनी बालकृति 
"हँसता गाता बचपन" से
बालकविता
"हाथी"
सूंड उठाकर नदी किनारे
पानी पीता हाथी।
सजी हुई है इसके ऊपर
सुन्दर-सुन्दर काठी।।

इस काठी पर बैठाकर
यह वन की सैर कराता।
बच्चों और बड़ों को
जंगल दिखलाने ले जाता।।

भारी तन का, कोमल मन का,
समझदार साथी है।
सर्कस में करतब दिखलाता
 प्यारा लगता हाथी है।।

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर बालकविता,

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  2. जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाकर,
    तुम आगे को बढ़ती हो।
    अपनी सखी-सहेली से तुम,
    सौतन जैसी लड़ती हो।।
    फितरत का सुन्दर बखान।
    बढ़िया बाल कविता।

    उत्सव त्रयी मुबारक।

    ReplyDelete

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