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Saturday, October 19, 2013

♥ भैंस हमारी सीधी-सादी ♥ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

 अपनी बालकृति 
"हँसता गाता बचपन" से
 
बालकविता
♥ भैंस हमारी सीधी-सादी 
सीधी-सादी, भोली-भाली।
लगती सुन्दर हमको काली।।

भैंस हमारी बहुत निराली।
खाकर करती रोज जुगाली।।

इसका बच्चा बहुत सलोना।
प्यारा सा है एक खिलौना।।

बाबा जी इसको टहलाते।
गर्मी में इसको नहलाते।।

गोबर रोज उठाती अम्मा।
सानी इसे खिलाती अम्मा।

गोबर की हम खाद बनाते।
खेतों में सोना उपजाते।।

भूसा-खल और चोकर खाती।
सुबह-शाम आवाज लगाती।।

कहती दूध निकालो आकर।
धन्य हुए हम इसको पाकर।।

4 comments:

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