अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
बालकविता
"देशी फ्रिज"
"
पानी को ठण्डा रखती है,
मिट्टी से है बनी सुराही।
बिजली के बिन चलती जाती,
देशी फ्रिज होती सुखदायी।।
छोटी-बड़ी और दरम्यानी,
सजी हुई हैं सड़क किनारे।
शीतल जल यदि पीना चाहो,
ले जाओ सस्ते में प्यारे।।
इसमें भरा हुआ सादा जल,
अमृत जैसा गुणकारी है।
प्यास सभी की हर लेता है,
निकट न आती बीमारी है।।
अगर कभी बाहर हो जाना,
साथ सुराही लेकर जाना।
घर में भी औ' दफ्तर में भी,
बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteअति सुन्दर पर्यावरण सम्मत पोस्ट ग्रीन पोस्ट ग्रीन नौनिहालों के लिए
ReplyDelete"देशी फ्रिज"
पानी को ठण्डा रखती है,
मिट्टी से है बनी सुराही।
बिजली के बिन चलती जाती,
देशी फ्रिज होती सुखदायी...
हँसता गाता बचपन
Wah wah. Aapka jawaab nahi.
ReplyDeleteशानदार कविता. जय हो.
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