चंचल-चंचल, मन के सच्चे।
सबको अच्छे लगते बच्चे।।
कितने प्यारे रंग रंगीले।
उपवन के हैं सुमन सजीले।।
भोलेपन से भरमाते हैं।
ये खुलकर हँसते-गाते हैं।।
भेद-भाव को नहीं मानते।
बैर-भाव को नहीं ठानते।।
काँटों को भी मीत बनाते।
नहीं मैल मन में हैं लाते।।
जीने का ये मर्म बताते।
प्रेम-प्रीत का कर्म सिखाते।।
लाजवाब. हार्दिक बधाई.
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