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Thursday, September 5, 2013
"स्लेट और तख़्ती" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बालकविता,
स्लेट और तख़्ती,
हँसता गाता बचपन से
Sunday, September 1, 2013
"रंग-बिरंगे छाते" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
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एक बालकविता
"रंग-बिरंगे छाते"
धूप और बारिश से,
जो हमको हैं सदा बचाते।
छाया देने वाले ही तो,
कहलाए जाते हैं छाते।।
आसमान में जब घन छाते,
तब ये हाथों में हैं आते।
रंग-बिरंगे छाते ही तो,
हम बच्चों के मन को भाते।।
तभी अचानक आसमान से,
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बालकविता,
रंग-बिरंगे छाते,
हँसता गाता बचपन से
Tuesday, August 20, 2013
"भइया मुझे झुलाएगा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
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एक बालकविता
"भइया मुझे झुलाएगा"
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अब हरियाली तीज आ रही,
मम्मी मैं झूलूँगी झूला।
देख फुहारों को बारिश की,
मेरा मन खुशियों से फूला।।
छम-छम,छम-छम पानी बरसे,
धरती पर पसरी हरियाली।
आसमान में सजे सात रंग,
इन्द्रधनुषकी छटा निराली।।
कई पुरानी भद्दी साड़ी,
बहुत आपके पास पड़ी हैं।
इतने दिन से इन पर ही तो,
मम्मी मेरी नजर गड़ी हैं।।
इन्हें ऐंठकर रस्सी बुन दो,
मेरा झूला बन जाएगा।
मैं बैठूँगी बहुत शान से,
भइया मुझे झुलाएगा।।
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बालकविता,
भइया मुझे झुलाएगा,
हँसता गाता बचपन से
Friday, August 16, 2013
"मेरी साइकिल" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
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एक बालकविता
प्रस्तुत कर रहा हूँ-
"मेरी साइकिल"
मेरी साइकिल कितनी प्यारी।
यह है मेरी नई सवारी।।
अपनी कक्षा के बच्चों में,
फर्स्ट डिवीजन मैंने पाई,
खुश होकर तब बाबा जी ने,
मुझे साईकिल दिलवाई,
इसको पाकर मेरे मन में,
जगी उमंगे कितनी सारी।
यह है मेरी नई सवारी।।
अपने घर के आँगन में मैं,
सीख रहा हूँ इसे चलाना,
कितना अच्छा लगता मुझको,
टन-टन घण्टी बहुत बजाना,
हैण्डिल पकड़ो, पैडिल मारो,
नहीं चलाना इसको भारी।
यह है मेरी नई सवारी।।
बायीं ओर चलाकर इसको,
नियम सड़क के अपनाऊँगा ,
बस्ता पीछे रखकर इसको,
विद्यालय में ले जाऊँगा,
साईकिल से अब करली है,
देखो मैंने पक्की यारी।
मेरी साइकिल कितनी प्यारी।
यह है मेरी नई सवारी।।
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बालगीत,
मेरी साइकिल,
हँसता गाता बचपन से
Monday, August 12, 2013
"टर्र-टर्र टर्राने वाला" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक')
अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
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एक बालकविता
प्रस्तुत कर रहा हूँ-
"टर्र-टर्र टर्राने वाला"
टर्र-टर्र चिल्लाने वाला!
मेंढक लाला बहुत निराला!!
कभी कुमुद के नीचे छिपता,
और कभी ऊपर आ जाता,
जल-थल दोनों में ही रहता,
तभी उभयचर है कहलाता,
पल-पल रंग बदलने वाला!
मेंढक लाला बहुत निराला!!
लगता है यह बहुत भयानक,
किन्तु बहुत है सीधा-सादा,
अगर जरा भी आहट होती,
झट से पानी में छिप जाता,
उभरी-उभरी आँखों वाला!
मेंढक लाला बहुत निराला!!
मुण्डी बाहर करके अपनी,
इधर-उधर को झाँक रहा है,
कीट-पतंगो को खाने को,
देखो कैसा ताँक रहा है,
उछल-उछल कर चलने वाला!
मेंढक लाला बहुत निराला!!
(छायांकनःडॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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टर्र-टर्र टर्राने वाला,
बालगीत,
हँसता गाता बचपन से
Thursday, August 8, 2013
"वेब कैम की शान निराली-अपनी बालकृति-हँसता गाता बचपन से" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक')
अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
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एक बालकविता
प्रस्तुत कर रहा हूँ-
"वेब कैम की शान निराली"
"वेबकैम पर हिन्दी में प्रकाशित
पहली बाल रचना"
-0-0-0-0-0-
वेबकैम की शान निराली।
करता घर भर की रखवाली।।
दूर देश में छवि पहुँचाता।
यह जीवन्त बात करवाता।।
आँखें खोलो या फिर मींचो।
तरह-तरह की फोटो खींचो।
कम्प्यूटर में इसे लगाओ।
घर भर की वीडियो बनाओ।।
चित्रों से मन को बहलाओ।
खुद देखो सबको दिखलाओ।।
छोटा सा है प्यारा सा है।
बिल्कुल राजदुलारा सा है।।
मँहगा नहीं बहुत सस्ता है।
तस्वीरों का यह बस्ता है।।
नवयुग की यह है पहचान।
वेबकैम है बहुत महान।।
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Saturday, July 27, 2013
"स्वागतगान-अपनी बालकृति-हँसता गाता बचपन से" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक')
स्वागतगान
अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
लगभग 28 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था।
इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ,
जब खटीमा ही नही
इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों में भी
इसको उत्सवों में गाया जाने लगा।
आप भी देखे-
स्वागतम आपका कर रहा हर सुमन।
आप आये यहाँ आपको शत नमन।।
भक्त को मिल गये देव बिन जाप से,
धन्य शिक्षा-सदन हो गया आपसे,
आपके साथ आया सुगन्धित पवन।
आप आये यहाँ आपको शत नमन।।
हमको सुर, तान, लय का नही ज्ञान है,
गल्तियाँ हों क्षमा हम तो अज्ञान हैं,
आपका आगमन, धन्य शुभ आगमन।
आप आये यहाँ आपको शत नमन।।
अपने आशीष से धन्य कर दो हमें,
देश को दें दिशा ऐसा वर दो हमें,
अपने कृत्यों से लायें, वतन में अमन।
आप आये यहाँ आपको शत नमन।।
दिल के तारों से गूँथे सुमन हार कुछ,
मंजु-माला नही तुच्छ उपहार कुछ,
आपको हैं समर्पित हमारे सुमन।
आप आये यहाँ आपको शत नमन।।
स्वागतम आपका कर रहा हर सुमन।
आप आये यहाँ आपको शत नमन।।
स्वागतम-स्वागतम, स्वागतम-स्वागतम!!
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Posted by रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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स्वागतगान,
हँसता गाता बचपन से
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