अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
एक बालकविता
♥ बिजली कड़की पानी आया ♥
उमड़-घुमड़ कर बादल आये।
घटाटोप अँधियारा लाये।।
काँव-काँव कौआ चिल्लाया।
लू-गरमी का हुआ सफाया।।
मोटी जल की बूँदें आईं।
आँधी-ओले संग में लाईं।।
धरती का सन्ताप मिटाया।
बिजली कड़की पानी आया।।
लगता है हमको अब ऐसा।
मई बना चौमासा जैसा।।
पेड़ों पर लीची हैं झूली।
बगिया में अमिया भी फूली।।
आम और लीची घर लाओ।
जमकर खाओ, मौज मनाओ।।
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Thursday, September 12, 2013
♥ बिजली कड़की पानी आया ♥ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बालकविता,
बिजली कड़की पानी आया,
हँसता गाता बचपन
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very nice .
ReplyDeleteमनोहारी बाल कविता
ReplyDeletemanbhavan
ReplyDeleteWaah waah
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