"हँसता गाता बचपन" से
बालकविता
"देशी फ्रिज"
"
पानी को ठण्डा रखती है,
मिट्टी से है बनी सुराही।
बिजली के बिन चलती जाती,
देशी फ्रिज होती सुखदायी।।
छोटी-बड़ी और दरम्यानी,
सजी हुई हैं सड़क किनारे।
शीतल जल यदि पीना चाहो,
ले जाओ सस्ते में प्यारे।।
इसमें भरा हुआ सादा जल,
अमृत जैसा गुणकारी है।
प्यास सभी की हर लेता है,
निकट न आती बीमारी है।।
अगर कभी बाहर हो जाना,
साथ सुराही लेकर जाना।
घर में भी औ' दफ्तर में भी,
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Saturday, September 28, 2013
"देशी फ्रिज" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Labels:
देशी फ्रिज,
बालकविता,
हँसता गाता बचपन
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सुन्दर बाल गीत-
ReplyDeleteआभार गुरुवर -
बहुत सुंदर बाल गीत..
ReplyDeleteprathamprayaas.blogspot.in-एक वैज्ञानिक
Sundar geet.
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