
नीला नभ जिनका संसार।
वो उड़ते हैं पंख पसार।।

जब कोई भी थक जाता है।
वो डाली पर सुस्ताता है।।
तोता पेड़ों का बासिन्दा।
कहलाता आजाद परिन्दा।।

खाने का सामान धरा है।
पर मन में अवसाद भरा है।।
लोहे का हो या कंचन का।
बन्धन दोनों में तन मन का।।

अत्याचार कभी मत करना।
मत इसको पिंजडे में धरना।।
कारावास बहुत दुखदायी।
जेल नहीं होती सुखदायी।।

मत देना इसको अवसाद।
करना तोते को आज़ाद।।
(चित्र गूगल छवियों से साभार)