![]()
अब हरियाली तीज आ रही,
मम्मी मैं झूलूँगी झूला।
देख फुहारों को बारिश की,
मेरा मन खुशियों से फूला।।
--
कई पुरानी भद्दी साड़ी,
बहुत आपके पास पड़ी हैं।
इतने दिन से इन पर ही तो,
मम्मी मेरी नजर गड़ी हैं।।
--
इन्हें ऐंठकर रस्सी बुन दो,
मेरा झूला बन जाएगा।
मैं बैठूँगी बहुत शान से,
भइया मुझे झुलायेगा।।
--
|
समर्थक
Friday, July 24, 2020
बालकविता "हरियाली तीज" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर बाल कविता।
शानदार रचना के लिये बधाई
ReplyDeleteआप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।
ReplyDeleteThis post will assist the internet people for building up new blog or even a weblog from start to end.
ReplyDeleteShaandar kavita.
ReplyDelete