![]() (चित्र गूगल सर्च से साभार) ठण्डी-ठण्डी हवा खिलाये। इसी लिए कूलर कहलाये।। जब जाड़ा कम हो जाता है। होली का मौसम आता है।। फिर चलतीं हैं गर्म हवाएँ। यही हवाएँ लू कहलायें।। तब यह बक्सा बड़े काम का। सुख देता है परम धाम का।। कूलर गर्मी हर लेता है। कमरा ठण्डा कर देता है।। चाहे घर हो या हो दफ्तर। सजा हुआ यह हर खिड़की पर।। इसकी महिमा अपरम्पार। यह ठण्डक का है भण्डार।। |
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Thursday, May 24, 2012
"कूलर" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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