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Thursday, January 2, 2014

"मैंने चित्र बनाया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

अपनी बाल कृति 
"हँसता गाता बचपन" से
एक बालकविता
"मैंने चित्र बनाया"
[IMG_2471 - pranjal[4].jpg]
ब्लैकबोर्ड पर श्वेत चॉक से, 
देखो मैंने चित्र बनाया।  
अपने कोमल अनुभावों से, 
मैंने इसको खूब सजाया।। 

खेतों में छोटी सी कुटिया, 
जिसके आगे पगदण्डी है। 
छायादार वृक्ष भी तो हैं, 
जिनकी हवा बहुत ठण्डी है।। 

इस छोटे से कच्चे घर में, 
गर्मी मुझको नहीं सताती। 
जाड़े के मौसम में प्रतिदिन, 
धूप गुनगुनी बहुत सुहाती।। 

प्यार भरे सम्बन्ध यहाँ हैं, 
भीड़-भाड़ का नाम नहीं है। 
श्रम और श्रमिक समाज यहाँ हैं, 
आलस का कुछ काम नहीं है।। 

घर-घर में हैं सन्त विनोबा, 
चौपालों में गांधी बाबा, 
अन्न बरसता है खेतों में, 
ग्राम हमारा काशी-काबा।

♥चित्रांकन-प्रांजल शास्त्री♥

4 comments:

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