मेरी एक बाल कविता को मेरे आग्रह पर मेरी मुँहबोली भतीजी अर्चना चावजी ने बहुत मन से गाया है! आप भी इस बाल कविता का रस लीजिए!मीठा राग सुनाती हो। आनन-फानन में उड़ करके, आसमान तक जाती हो।। सूरज उगने से पहले तुम, नित्य-प्रति उठ जाती हो। चीं-चीं, चूँ-चूँ वाले स्वर से , मुझको रोज जगाती हो।। तुम मुझको सन्देशा देती, रोज सवेरे उठा करो। अपनी पुस्तक को ले करके, पढ़ने में नित जुटा करो।। चिड़िया रानी बड़ी सयानी, कितनी मेहनत करती हो। एक-एक दाना बीन-बीन कर, पेट हमेशा भरती हो।। मेरे अगर पंख होते तो, मैं भी नभ तक हो आता। पेड़ो के ऊपर जा करके, ताजे-मीठे फल खाता।। अपने कामों से मेहनत का, पथ हमको दिखलाती हो।। जीवन श्रम के लिए बना है, सीख यही सिखलाती हो। जब मन करता मैं उड़ कर के, नानी जी के घर जाता। आसमान में कलाबाजियाँ कर के, सबको दिखलाता।। |
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Monday, September 19, 2011
" चिड़िया रानी फुदक-फुदक कर" ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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waah
ReplyDeleteसुन्दर.स्वर और कविता.
ReplyDeleteसुन्दर.स्वर और कविता.
ReplyDeleteखूबसूरत कविता
ReplyDeleteलेकिन अफसोस चिडिया लुप्त हो गई है
bahut sunder per shayad kuch sal bad chidya hi na rahe kavita ke liye...........
ReplyDeleteलाजवाब !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना..बहुत सुन्दर गायन
ReplyDeleteप्यारी सी कविता...मीठी सी आवाज़ में..बहुत अच्छी लगी.
ReplyDeleteबहुत प्यारा गीत...बहुत सुन्दर स्वर दिया है
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी रचना ...वो भी प्यारी सी बोली में ,सुनवाने के लिए आभार आपका
ReplyDeletebahut badhia,
ReplyDeleteAdbhut kavita. Pranam.
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