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Thursday, May 24, 2012

"कूलर" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


(चित्र गूगल सर्च से साभार)

ठण्डी-ठण्डी हवा खिलाये।
इसी लिए कूलर कहलाये।।

जब जाड़ा कम हो जाता है।
होली का मौसम आता है।।

फिर चलतीं हैं गर्म हवाएँ।
यही हवाएँ लू कहलायें।।

तब यह बक्सा बड़े काम का।
सुख देता है परम धाम का।।

कूलर गर्मी हर लेता है।
कमरा ठण्डा कर देता है।।

चाहे घर हो या हो दफ्तर।
सजा हुआ यह हर खिड़की पर।।

इसकी महिमा अपरम्पार।
यह ठण्डक का है भण्डार।।

12 comments:

  1. बहुत काम की चीज है सच में कूलर बहुत अच्छी कविता

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  2. बहुत ही बढिया।

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  3. कल 01/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  4. इस ब्लाग के सभी पाठक बच्चों को अंतर्राष्ट्रीय बालदिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएँ।

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  5. इसकी महिमा अपरम्पार।
    यह ठण्डक का है भण्डार।।

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  6. तब यह बक्सा बड़े काम का।
    सुख देता है परम धाम का।।
    तब यह बक्सा बड़े काम का।
    सुख देता है परम धाम का।।
    बिजली रानी रहे सतर्क ,बेड़ा करे न किसी का गर्क .

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  7. ठण्डी-ठण्डी हवा खिलाये।
    इसी लिए कूलर कहलाये।।
    जो रिमोट से हिलता जाए ,
    सरपट अपनी नाड़ हिलाए ,
    मोहना वह कहलाये ,
    देश का सारा काज चलाये ,
    रोज़ रुपैया पिटवाये
    अच्छी रचना है कूलर .

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  8. बड़ी सुंदर बाल कविता !!

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