"हँसता गाता बचपन" से
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बालकविता
"देशी फ्रिज"
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पानी को ठण्डा रखती है,
मिट्टी से है बनी सुराही।
बिजली के बिन चलती जाती,
देशी फ्रिज होती सुखदायी।।
छोटी-बड़ी और दरम्यानी,
सजी हुई हैं सड़क किनारे।
शीतल जल यदि पीना चाहो,
ले जाओ सस्ते में प्यारे।।
इसमें भरा हुआ सादा जल,
अमृत जैसा गुणकारी है।
प्यास सभी की हर लेता है,
निकट न आती बीमारी है।।
अगर कभी बाहर हो जाना,
साथ सुराही लेकर जाना।
घर में भी औ' दफ्तर में भी,
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Saturday, September 28, 2013
"देशी फ्रिज" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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देशी फ्रिज,
बालकविता,
हँसता गाता बचपन
Tuesday, September 24, 2013
"सिखलाती गुणकारी बातें" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
"हँसता गाता बचपन" से
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बालगीत
"सिखलाती गुणकारी बातें"
चाट-चाट कर सहलाती है।
करती जाती प्यारी बातें।
खुश होकर करती है अम्मा,
मुझसे कितनी सारी बातें।।
बहुत चाव से दूध पिलाती,
बिन मेरे वो रह नहीं पाती,
सीधी सच्ची मेरी माता,
सबसे अच्छी मेरी माता,
ममता से वो मुझे बुलाती,
करती सबसे न्यारी बातें।
खुश होकर करती है अम्मा,
मुझसे कितनी सारी बातें।।
दुनियादारी के सारे गुर,
मेरी माता मुझे बताती,
हरी घास और भूसा-तिनका,
खाना-खाना भी बतलाती,
जीवन यापन करने वाली,
सिखलाती गुणकारी बातें।
खुश होकर करती है अम्मा,
मुझसे कितनी सारी बातें।।
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सिखलाती गुणकारी बातें
Saturday, September 21, 2013
♥ कद्दू प्यारा ♥ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
अपनी बालकृति
एक बालकविता
♥ कद्दू प्यारा ♥
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हँसता गाता बचपन
Tuesday, September 17, 2013
"घर भर की तुम राजदुलारी" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
अपनी बालकृति
एक बालकविता
♥ घर भर की तुम राजदुलारी ♥
प्यारी-प्यारी गुड़िया जैसी,
बिटिया तुम हो कितनी प्यारी। मोहक है मुस्कान तुम्हारी, घरभर की तुम राजदुलारी।। नये-नये परिधान पहनकर, सबको बहुत लुभाती हो। अपने मन का गाना सुनकर, ठुमके खूब लगाती हो।। |
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हँसता गाता बचपन
Thursday, September 12, 2013
♥ बिजली कड़की पानी आया ♥ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
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एक बालकविता
♥ बिजली कड़की पानी आया ♥
उमड़-घुमड़ कर बादल आये।
घटाटोप अँधियारा लाये।।
काँव-काँव कौआ चिल्लाया।
लू-गरमी का हुआ सफाया।।
मोटी जल की बूँदें आईं।
आँधी-ओले संग में लाईं।।
धरती का सन्ताप मिटाया।
बिजली कड़की पानी आया।।
लगता है हमको अब ऐसा।
मई बना चौमासा जैसा।।
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पेड़ों पर लीची हैं झूली।
बगिया में अमिया भी फूली।।
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आम और लीची घर लाओ।
जमकर खाओ, मौज मनाओ।।
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हँसता गाता बचपन
Sunday, September 8, 2013
♥ यह है अपना सच्चा भारत ♥ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
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एक बालकविता
♥ यह है अपना सच्चा भारत ♥
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सुन्दर-सुन्दर खेत हमारे।
बाग-बगीचे प्यारे-प्यारे।।
पर्वत की है छटा निराली।
चारों ओर बिछी हरियाली।।
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सूरज किरणें फैलाता है।
छटा अनोखी बिखराता है।।
तम हट जाता, जग जगजाता।
जन दिनचर्या में लग जाता।।
चहक उठे हैं घर-चौबारे।
महक उठे कच्चे-गलियारे।।
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गइया जंगल चरने जाती।
हरी घास मन को ललचाती।।
नहीं बनावट, नहीं प्रदूषण।
यहाँ सरलता है आभूषण।।
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खड़ी हुई मजबूत इमारत।
यह है अपना सच्चा भारत।।
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हँसता गाता बचपन
Thursday, September 5, 2013
"स्लेट और तख़्ती" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बालकविता,
स्लेट और तख़्ती,
हँसता गाता बचपन से
Sunday, September 1, 2013
"रंग-बिरंगे छाते" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
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एक बालकविता
"रंग-बिरंगे छाते"
धूप और बारिश से,
जो हमको हैं सदा बचाते।
छाया देने वाले ही तो,
कहलाए जाते हैं छाते।।
आसमान में जब घन छाते,
तब ये हाथों में हैं आते।
रंग-बिरंगे छाते ही तो,
हम बच्चों के मन को भाते।।
तभी अचानक आसमान से,
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हँसता गाता बचपन से
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