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Monday, March 3, 2014

"सच्चा भारत" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

अपनी बालकृति 
"हँसता गाता बचपन" से
सच्चा भारत
सुन्दर-सुन्दर खेत हमारे।
बाग-बगीचे प्यारे-प्यारे।।

पर्वत की है छटा निराली।
चारों ओर बिछी हरियाली।।

छटा अनोखी बिखराता है।।
सूरज किरणें फैलाता है।

तम हट जाता, जग जगजाता।
जन दिनचर्या में लग जाता।।

चहक उठे हैं घर-चौबारे।

महक उठे कच्चे-गलियारे।।
गइया जंगल चरने जाती।

हरी घास मन को ललचाती।।

 नहीं बनावट, नहीं प्रदूषण।
यहाँ सरलता है आभूषण।।

खड़ी हुई मजबूत इमारत।
यह है अपना सच्चा भारत।।

3 comments:

  1. मनभावन चित्र खडा लिखा है भारत देश का ...

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  2. कितना अच्छा भारत होगा ,
    अपना यह सपना सच होगा .

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