अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
माँ को नमन करते हुए!
आज यह बालकविता पोस्ट कर रहा हूँ!
माता के उपकार बहुत,
वो भाषा हमें बताती है!
उँगली पकड़ हमारी माता,
चलना हमें सिखाती है!!
दुनिया में अस्तित्व हमारा,
माँ के ही तो कारण है,
खुद गीले में सोकर,
वो सूखे में हमें सुलाती है!
उँगली पकड़ हमारी……..
देश-काल चाहे जो भी हो,
माँ ममता की मूरत है,
धोकर वो मल-मूत्र हमारा,
पावन हमें बनाती है!
उँगली पकड़ हमारी……..
पुत्र कुपुत्र भले हो जायें,
होती नही कुमाता माँ,
अपने हिस्से की रोटी,
बेटों को सदा खिलाती है!
उँगली पकड़ हमारी……..
ऋण नही कभी चुका सकता,
कोई भी जननी माता का,
माँ का आदर करो सदा,
यह रचना यही सिखाती है!
उँगली पकड़ हमारी……
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बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteमातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !!
माँ के स्वरूप को शब्दबंध करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद |
ReplyDeleteVery nice
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