समर्थक

Wednesday, February 19, 2014

"अल्मोड़ा की बाल मिठाई" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

अपनी बालकृति 
"हँसता गाता बचपन" से
एक बालकविता
"अल्मोड़ा की बाल मिठाई" 
मेरे पापा गये हुए थे,
परसों नैनीताल।
मेरे लिए वहाँ से लाए,
वो यह मीठा माल।।

खोए से यह बनी हुई है,
जो टॉफी का स्वाद जगाती।
मीठी-मीठी बॉल लगी हैं,
मुझको बहुत पसंद है आती।।

कभी पहाड़ों पर जाओ तो,
इसको भी ले आना भाई।
भूल न जाना खास चीज है,
अल्मौड़ा की बॉलमिठाई।।

रक्षाबन्धन के अवसर पर,
यह मेरे भइया ने खाई।
उसके बाद बहुत खुश होकर,
मुझसे राखी भी बंधवाई।।

3 comments:

  1. बढ़िया बिम्ब लिए है रचना। गीतात्मकता और सारल्य लिए है यह बालमिठाई बालसुलभ

    ReplyDelete

  2. यथास्थितिवादी भयभीत हैं आपसे। 'हाथ 'हाथ धरे बैठा है किंकर्त्तव्यविमूढ़ ,प्रतिक्रिया करने में असमर्थ -चिदम्बरम राजीव जी के हत्यारों को फांसी के एवज़ आजीवन कारावस की मिलने पर कहते हैं मैं नहीं कह सकता मैं इस फैसले से खुश हूँ या नाखुश। वोट के निशाने पर राजनीति करने वाले राजनीति के इन धंधे बाज़ों की खबर लेने के लिए है आप।

    ReplyDelete

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।